तनहाई
आज शाम बड़ी तनहा तनहा सी हैं,
यादों की चिल्मन फिर से छा रही हैं नजरों पर .
तुम दूर होकर भी पास थे कभी,
वस ध्यान रखना नजदीकिया भी बदल न जाएँ दूरियों में.
यादों की चिल्मन फिर से छा रही हैं नजरों पर .
तुम दूर होकर भी पास थे कभी,
वस ध्यान रखना नजदीकिया भी बदल न जाएँ दूरियों में.
सालो बाद संदूक के किसी कोने में हिफाज़त से रखा हुआ
तुम्हारा वह पहले प्यार का पहला ख़त,
जैसे मुझको तुम्हारे सामने ले आया सदियों के बाद .
जैसे मुझको तुम्हारे सामने ले आया सदियों के बाद .
बड़े तमन्नाओं से संजोकर रखा था उसे.
गुलाबी पन्ने पर चाहत की स्याही उड़ेल कर,
लिखी गयी हर एक लफ्ज़ में से ,
आज भी भीनी भीनी खुसबू लिपटी हुई हैं जैसे.
कितनी चाहत छुपी हुई थी उन बातों में,
कितने वादे थे, कितनी कसमें थी .
वह वादें सायद हम निभाना न पायें,
इसका मतलब वह झूटे तो नही.
चाँद और कमल का मिलना नामुमकिन सी बात बात हैं ,पर दोनों अजनबी नही.आज भी चाँद कमल को रात रात भर ,
निहारता रहता हैं ,
आज भी कमल के दिल में कसक उठती हैं ,
पाने की गुंजाईश न रखना , खोने का दूजा नाम तो नही
लिखी गयी हर एक लफ्ज़ में से ,
आज भी भीनी भीनी खुसबू लिपटी हुई हैं जैसे.
कितनी चाहत छुपी हुई थी उन बातों में,
कितने वादे थे, कितनी कसमें थी .
वह वादें सायद हम निभाना न पायें,
इसका मतलब वह झूटे तो नही.
चाँद और कमल का मिलना नामुमकिन सी बात बात हैं ,पर दोनों अजनबी नही.आज भी चाँद कमल को रात रात भर ,
निहारता रहता हैं ,
आज भी कमल के दिल में कसक उठती हैं ,
पाने की गुंजाईश न रखना , खोने का दूजा नाम तो नही
मेरी हथेलिओं के लकीरों में सायद तुम्हारा नाम लिखा हुआ न हो ,
पर वह तुमसे जुदा होने का फरमान तो नही.
पर वह तुमसे जुदा होने का फरमान तो नही.
.
ReplyDeleteचंद्राणी जी
सस्नेह अभिवादन !
मेरी हथेलियों की लकीरों में शायद तुम्हारा नाम लिखा हुआ न हो …
पर वह तुमसे जुदा होने का फ़रमान तो नहीं !
बहुत समर्पित प्रेम की रचना है … हृदयग्राही !
आपकी अन्य रचनाएं भी प्रभावित करती हैं
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
dhannnyabad rajenda ji.........ate rahiye ga.... aj ka din mere liye bahut bada din ha..........
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