ए चांद , आज तेरी चांदनी मेरी रेशमी जुल्फों के साये में ,
खेलती हुई, कुछ कहती जा रही है ,कुछ यादों के तस्वीरें बनाती हुई,
कुछ सपनो के ताने बाने बुनती जा रही है.
तुझे याद है ना, वह सदियों पुरानी बातें,वह हसने-रोने के पल, वह मीठी सी फरियादें .
मेरा वह आधी- आधी रात तक जागते रहना ,
वह पहले प्यार का सन्देशा , धड़कन की हलचल.
तुझ से बाते करते रहना, कितनी बार मिन्नतें की थी मैंने तुझसे,
कितनी बार अर्ज़िया भेजी थी , की मेरे खुवाबो में रोज आने वाला ,
चाहे जो भी हो, जहाँ भी हो,हलके के उसके कानो में कह्देना ,
कोई पलके बिछाये बैठा है राहों में तेरे, कभी लगा तू मुझ पर हसता होगा,
कहता होगा , अरी पागल, कहानियों के दुनिया से बाहर निकल ,
कभी महसूस होता जैसे तूने मुझसे कहा हो ,
इश्क पर जोर नहीं हैं ये वह आतिश , जो जलाये ना जले और बुझाये ना बुझे .
फूलों की पंखुड़ियों से लिपटी हुई , ओस के बूंदों की तरह ,
मेरे दिल के हर एक तमन्नायों से लिपटा हुआ तू,
कई बार मैंने कसम दी थी तुझे तेरी चांदनी की,
कहा था , वह जो बादल की आड में छुपा हुआ मेरे दिल को चुराता जाता हैं,
वह कभी तो किसी बिराने में खड़ा, तन्हाई के किसी एक अनजाने पल में,
तुझे निहारता होगा, होले से कहना उसे,
दुनिया के किसी कोने में कोई ,
तेरे चाहत का दिया जलाये बैठा है ,
दुनिया की भीड़ में भी तनहा तनहा ,
इन्तेजार के घड़ियों को आंसुओं के मोतीओं से भिगोता हुआ,
यों ही तड़पता तरसता जीता चला जा रहा है .....
यों ही तड़पता तरसता जीता चला जा रहा है .....