तुम , मैं और खामौशी ,एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
कभी तुम यादों में आते हो ,तो कभी ख्वाबों में .
कभी बादल बनकर घिर आते हो ,मेरी अँखियों के आसमान में
तो कभी खुशी बनकर छा जाते हो, इन लवों की मुस्कान में .
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
जब पास होते हो , तब ख़ामोशी से आँखों में आँखे डाल,जाने क्या क्या कह जाते हो .
और जब दूर होते हो , तब भी मेरी ख़ामोशी का हर एक पल ,
अपनी यादों से महका जाते हो.
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
ऑघि ऑघि रात को, जाग उठती हूँ मैं, लगता है जैसे कानों मेरे ,
धीरे से कोई कुछ कह गया हो , एक अजीब सी हलचल होती हैं सीने में ,
सोचती हूँ कहीं ये मोहब्बत तो नही ?
सूखे हुए पत्तों की मर्मराहट में आजकल किसी का नाम सुनाई देता हैं.
मेरे रेशमी दुपट्टे को छुती हुई , सावन की वह बहकी हवा ,
लगता है जैसे चुपके से तुम अपनी मोहब्बत का ईकरार कर गए हो .
या फिर सर्दी की धुप का होले से , मेरे गालों को छु जाना ,
लगता है जैसे की तुम अपने दिल में छुपे हुए प्यार का ,एहसास दिला रहे हो.
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
मेरे दिल के हर एक पन्ने पर , सिर्फ तुम्हारा नाम लिखा हुआ है ,
जरा अपनी धडकनों से , मेरे दिल के हर एक पन्ने को पलट कर देखो तो नज़र आए.
पर हाँ , याद रखना जो कहना है आँखों से ही कहना ,
जो सुनना है आँखों ही आँखों में ही सुन लेना ,दिल के बातें ख़ामोशी से हो , वही अच्छा है,
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
कभी तुम यादों में आते हो ,तो कभी ख्वाबों में .
कभी बादल बनकर घिर आते हो ,मेरी अँखियों के आसमान में
तो कभी खुशी बनकर छा जाते हो, इन लवों की मुस्कान में .
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
जब पास होते हो , तब ख़ामोशी से आँखों में आँखे डाल,जाने क्या क्या कह जाते हो .
और जब दूर होते हो , तब भी मेरी ख़ामोशी का हर एक पल ,
अपनी यादों से महका जाते हो.
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
ऑघि ऑघि रात को, जाग उठती हूँ मैं, लगता है जैसे कानों मेरे ,
धीरे से कोई कुछ कह गया हो , एक अजीब सी हलचल होती हैं सीने में ,
सोचती हूँ कहीं ये मोहब्बत तो नही ?
सूखे हुए पत्तों की मर्मराहट में आजकल किसी का नाम सुनाई देता हैं.
मेरे रेशमी दुपट्टे को छुती हुई , सावन की वह बहकी हवा ,
लगता है जैसे चुपके से तुम अपनी मोहब्बत का ईकरार कर गए हो .
या फिर सर्दी की धुप का होले से , मेरे गालों को छु जाना ,
लगता है जैसे की तुम अपने दिल में छुपे हुए प्यार का ,एहसास दिला रहे हो.
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.
मेरे दिल के हर एक पन्ने पर , सिर्फ तुम्हारा नाम लिखा हुआ है ,
जरा अपनी धडकनों से , मेरे दिल के हर एक पन्ने को पलट कर देखो तो नज़र आए.
पर हाँ , याद रखना जो कहना है आँखों से ही कहना ,
जो सुनना है आँखों ही आँखों में ही सुन लेना ,दिल के बातें ख़ामोशी से हो , वही अच्छा है,
तुम , मैं और खामौशी, एक अजीब सा रिश्ता है हम तीनों के वीच.