चाहत
चंद्रानी पुरकायस्थ
ख़ामोशी का हर पल , अपने गुनगुनाहट से सवार दो.
ये जो चाँद आसमान में अपने खूबसूरती का दम भरता है,
अपने चाहत की लाली से उसका भी रंग निखार दो .
हमने देखा हैं बरगद के पेड़ को पत्थोरों के जहाँ में ,
तुम चाहो तो पत्थोरों में भी फूल खिलादो ....
दर असल , इन्सान की नाकामियाँ ,
उसके दिल के ही किसी ना किसी कोने में छुपी हुई होती है,
कभी अपने अन्दर की इन कमजोरियों को मिटा कर तो देखो ,
जहाँ को जन्नत बनाना तो छोटी सी बात है ,
तुम चाहो तो जहन्नुम को जन्नत सा पाक बना दो .................
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