हम सोचते रहे , किसी रोज तो बात होगी ,
ख्वाबों में ही सही , कभी तो मुलाकात होगी .
हर एक साँस में यो गूंजता रहा नाम तुम्हारा ,
हम सोचते रहे , कभी तो बरसात होगी.
आधी आधी रात को , अध् खुली आखों से,
सुनी गलियों को निहारती रही.
तो कभी सूखे पत्तों की आहट को ,
तुम्हारा आना जान मुस्काती रही.
कभी कभी इंतेजार के पल ,
बूंद बनकर छलक पड़े.
ख्वाबों में ही सही , कभी तो मुलाकात होगी .
हर एक साँस में यो गूंजता रहा नाम तुम्हारा ,
हम सोचते रहे , कभी तो बरसात होगी.
आधी आधी रात को , अध् खुली आखों से,
सुनी गलियों को निहारती रही.
तो कभी सूखे पत्तों की आहट को ,
तुम्हारा आना जान मुस्काती रही.
कभी कभी इंतेजार के पल ,
बूंद बनकर छलक पड़े.
काश कोई एक बूंद तुमको भी छु गयी होती .
हमने तो खामोसी से बयाँ की थी दास्ताँ -ए -दिल ,
काश तुमको भी खामोसी की जुबाँ आती होती .
हमने तो खामोसी से बयाँ की थी दास्ताँ -ए -दिल ,
काश तुमको भी खामोसी की जुबाँ आती होती .